यह हम पर है मुनहसिर, याद रखना या भूल जाना...
गुज़रे पलों का क्या, उनकी तो आदत है याद आना !
माज़ी में मुब्तला रहे, या ख़ौफ़ज़दा मुस्तक़बिल से...
मौजूदा दौर की अहमियत को कम ही करके जाना !!
मुनहसिर: निर्भर; माज़ी: भूत काल; मुब्तला: फंसे, पड़े;
ख़ौफ़ज़दा: भयभीत; मुस्तक़बिल: भविष्य; मौजूदा: वर्तमान
ᵠ ᵠ ᵠ ᵠ
ᵠ ᵠ ᵠ
ᵠ ᵠ
ᵠ
No comments:
Post a Comment