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Tuesday, 16 October 2018

नाज़







बड़ा नाज़ था हमको अपने ज़ब्त पे कभी…
तेरे हिज्र का सदमा मगर हम सह ना सके !

रो कर दिल शायद कुछ हल्का हुआ होता…
अश्कों को ना जाने क्या हुआ बह ना सके !




ज़ब्त: नियंत्रण: हिज्र: जुदाई; अश्क़: आँसू




   

        

         
   
    
  
   

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