बड़ा नाज़ था हमको अपने
ज़ब्त पे कभी…
तेरे हिज्र का सदमा
मगर हम सह ना सके !
रो कर दिल शायद कुछ
हल्का हुआ होता…
अश्कों को ना जाने क्या
हुआ बह ना सके !
ज़ब्त:
नियंत्रण: हिज्र: जुदाई; अश्क़: आँसू
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