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Wednesday, 24 October 2018

रंज-ओ-मसाइब








आना-जाना अगर फ़ितरत है हर शै की यहाँ
क्यों दुखों को जाते, ना खुशियों को आते देखा

रंज-ओ-मसाइब से बिलखती इस दुनिया में...
चंद दीवानों को मैंने बे-वजह मुस्कुराते देखा !!



रंज-ओ-मसाइब: दुःख-दर्द




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