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Thursday, 11 October 2018

ज़िद







मेरी ज़िद बड़ी थी या तेरी अना बड़ी थी
कोई दीवार ज़रूर हमारे बीच खड़ी थी !

मैं चला भी आया तुमने रोका तक नहीं
ख़ुदा जाने वो कौन सी मनहूस घड़ी थी !







अना: अहं



     
     
   
 

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