Stories

Saturday, 27 October 2018

“फ़ितरत पे सवाल…”


“फ़ितरत पे सवाल…”

मुरव्वत से पेश आऊँगा ताकि कोई सवाल ना हो...
मिल रहें हैं जो इख़्लास से, दुश्मनों की चाल ना हो !

बे-शक चल रही हो वहाँ मेरे ही क़त्ल की साज़िश,
कोई मोहब्बत से बुलाए, न जाने की मजाल ना हो !

एतबार अगर दुश्वारियों का बाइस बनता है तो बने..
वो ज़िन्दगी क्या जीना जिसमें कोई कमाल ना हो !

जान की परवाह किसे है, बस रिश्ते दिल के बने रहें,
किसी पर भी भरोसा न रहे इतना बुरा हाल ना हो !

बाक़ी सब कुछ हासिल है, एक तमन्ना अभी बची है,
मेरे बाद भी मेरी फ़ितरत पे कभी कोई सवाल ना हो !


***

मुरव्वत: प्यार; इख़्लास: शिष्टाचार, प्रेम; साज़िश: षड्यंत्र; मजाल: हिम्मत;
एतबार: भरोसा; दुश्वारी: मुश्किल; बाइस: कारण; फ़ितरत: आदत, स्वभाव  


No comments:

Post a Comment