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Friday, 26 October 2018

जज़्बा-ए-इबादत








कोशिशें करले लाख समझ ना फिर भी पायेगा
चूँकि उसका रुतबा, उसका जल्वा ला-सानी है !

जज़्बा-ए-इबादत हो तो पत्थर भी रब लगता है
मान लो तो आब-ए-हयात वरना फ़क़त पानी है !!



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रुतबा: प्रतिष्ठा, ओहदा; ला-सानी: बेमिसाल, अतुल्य; जज़्बा-ए-इबादत: श्रद्धा-भाव, पूजा की भावना; 
आब-ए-हयात: अमृत; महज़: सिर्फ़

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