कोशिशें करले लाख
समझ ना फिर भी पायेगा
चूँकि उसका रुतबा, उसका जल्वा ला-सानी है !
जज़्बा-ए-इबादत हो तो पत्थर भी रब लगता है
मान लो तो आब-ए-हयात वरना फ़क़त पानी है !!
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रुतबा: प्रतिष्ठा,
ओहदा; ला-सानी: बेमिसाल, अतुल्य; जज़्बा-ए-इबादत: श्रद्धा-भाव, पूजा की भावना;
आब-ए-हयात:
अमृत; महज़: सिर्फ़
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