ज़िन्दगी
इतनी बुरी नहीं दोस्त, ढंग से जी कर देखो
गर
यूँ समझ न पाओ… तो मेरी तरह पी कर देखो !
जहाँ
भर को ग़म सुनाते फिरने से है क्या हासिल…
हिम्मत
से काम लो, चाक-ए-जिगर सी कर देखो !!
ऐसी
ख़ास भी नहीं अब ज़िन्दगी, जी कर देख लिया
कुछ
समझ ना आया दोस्त, पी कर भी देख लिया !
ग़म
सबको सुनाते फिरने से माना कुछ हासिल नहीं
हिम्मत
बेकार हुयी, जिगर सी कर भी देख लिया !
चाक-ए-जिगर:
दिल का ज़ख्म
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