Stories

Friday, 28 September 2018

अंदाज़ अपना अपना…





ज़िन्दगी इतनी बुरी नहीं दोस्त, ढंग से जी कर देखो
गर यूँ समझ न पाओ… तो मेरी तरह पी कर देखो !

जहाँ भर को ग़म सुनाते फिरने से है क्या हासिल…
हिम्मत से काम लो, चाक-ए-जिगर सी कर देखो !!


ऐसी ख़ास भी नहीं अब ज़िन्दगी, जी कर देख लिया
कुछ समझ ना आया दोस्त, पी कर भी देख लिया !

ग़म सबको सुनाते फिरने से माना कुछ हासिल नहीं
हिम्मत बेकार हुयी, जिगर सी कर भी देख लिया !




चाक-ए-जिगर: दिल का ज़ख्म




No comments:

Post a Comment