Stories

Thursday, 27 September 2018

नाराज़गी किसी की...




नाराज़गी किसी की मिल्कियत कहाँ?
गिला तो एक मुझको भी था...लेकिन !

ख़त कोई इक़रार-ए-मोहब्बत कहाँ?
मिला तो एक मुझको भी था...लेकिन !




- मोहनजीत –





मिल्कियत: ज़ाती जागीर; इक़रार-ए-मोहब्बत: प्यार की स्वीकारोक्ति




     
     
   
 

No comments:

Post a Comment