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Saturday, 22 September 2018

"तो बात बने... !"


सलीब अपनी उठाओ तो बात बने…
मसीहा बन के दिखाओ तो बात बने !

हंसते हुए भीगी होंगीं पलकें अक्सर
रोते हुए भी मुस्कुराओ तो बात बने !

छोड़ देना कहीं क्या मुश्किल है…
मक़ाम तक पहुँचाओ तो बात बने !

ख़ुशगवार राहों का सफ़र आसाँ होगा
पत्थरों पर चल पाओ तो बात बने !

दुनिया को परखने से क्या हासिल…
कभी ख़ुद को आज़माओ तो बात बने !

रंजिशें निभाने में कहाँ कुछ रखा है
गर रिश्ते निभा पाओ तो बात बने !

ज़िन्दगी छोटी सही...नायाब तोहफा है
बस सलीक़े से जी पाओ तो बात बने !


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