सलीब अपनी उठाओ तो बात बने…
मसीहा बन के दिखाओ तो बात बने !
हंसते हुए भीगी होंगीं पलकें अक्सर
रोते हुए भी मुस्कुराओ तो बात बने !
छोड़ देना कहीं क्या मुश्किल है…
मक़ाम तक पहुँचाओ तो बात बने !
ख़ुशगवार राहों का सफ़र आसाँ होगा
पत्थरों पर चल पाओ तो बात बने !
दुनिया को परखने से क्या हासिल…
कभी ख़ुद को आज़माओ तो बात बने !
रंजिशें निभाने में कहाँ कुछ रखा है
गर रिश्ते निभा पाओ तो बात बने !
ज़िन्दगी छोटी सही...नायाब तोहफा है
बस सलीक़े से जी पाओ तो बात बने !
Bahut khoobsurat.!👌👌
ReplyDeleteShukriya! 😊
DeleteDhanyawaad!
ReplyDeleteसुन्दर !!
ReplyDeleteधन्यवाद, धीरज...!
ReplyDeleteBahut khoob!👌
ReplyDeleteShukriya!
DeleteBhut khoob
ReplyDelete👌
Kuch alag baat hai aap kay andaz main, yu hi nahi hum aap ke murreid hain
ReplyDeleteWaah...Kya baat hai! Zarranawaazi ke liye bahut-bahut shukriya!!
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