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Tuesday, 25 September 2018

ना पूछो क्यूँकर वक़्त कटा...




ना पूछो क्यूँकर वक़्त कटा, अजीब-ओ-ग़रीब रहा हाल हमारा..
पीछा ता-उम्र चला, हमने मौत का किया, ज़िन्दगी ने हमारा !

बस किताब-ए-दर्द लिए फिरते रहे, पढ़ने वाले की जुस्तुजू में..
पूछा हर एक ने कि कैसे हो, सुना किसी ने नहीं हाल हमारा !

मोहनजीत



     
     
   
 

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