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Saturday, 5 January 2019

“लोग कहते हैं इश्क़ छोड़...!”







लोग कहते हैं इश्क़ छोड़ वर्ना बदनाम हो जायेगा
कैसे समझायें यूँ ही सही अपना नाम हो जायेगा!

हर ख़ुशी से वाबस्ता हो, पहुंचो हर एक उरूज तक
अपना तो क्या, वही क़िस्सा है, तमाम हो जायेगा! 

यह कश्मकश ज़िन्दगी की उसी के साथ ख़त्म होगी
थक चुके दिलो-दिमाग़ को ज़रा आराम हो जायेगा!

तअ'ल्लुक़ हमारे बीच गर ऐसे ही ना-ख़ुशगवार रहे
ज़िन्दगी तो मुश्किल थी ही मरना हराम हो जायेगा!

कभी दुआओं में ही सही तुम याद रख सके अगर
अपने लिए तो बस यह भी एक इनाम हो जायेगा!

हमारे रास्ते और ख़्यालात जो एक हो सके कभी
किसी रोज़ तुम्हारे साथ भी एक जाम हो जायेगा!


वाबस्ता: जुड़ा हुआ; उरूज: उत्कर्ष; तअ'ल्लुक़: संबंध; ना-ख़ुशगवार: अप्रिय





2 comments:

  1. Awesome. Kabhi duaon main hi Sahi.... Inshah Allah tumhare saarg bhi ek Jaam ho jayega.
    Hats off to the poet for using such simple words congrats and keep it up.

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