【मूल कहानी -
"दि गिफ़्ट ऑफ़ दि मेजाइ"
मूल लेखक -
"ओo हेनरी"
अंग्रेज़ी से अनुवाद
- "मोहनजीत कुकरेजा"】
●【नोट: तीन मजूसी
(बुद्धिमान साधू, ज्योतिषी) जिनका बाइबल में उल्लेख है कि एक तारे के मार्ग-दर्शन में
वो अपने साथ सोना, मुर्र और लोबान कैसे बहुमूल्य उपहार ले कर प्रभु ईसा मसीह के दर्शन
करने पूर्व देश (आधुनिक ईरान) से बेथेलहेम (इस्राएल) आए थे I
अपने मूल, अंग्रेज़ी
रूप में यह दिल को छू लेने वाली यह कहानी ‘The
Gift of The Magi’ के नाम से विश्व-प्रसिद्ध है!】●●●
एक
डॉलर और सतासी सेंट्स I बस! घर के लिए खाद्य-सामग्री और मीट की ख़रीदारी में से बड़ी
मेहनत से एक-एक सेंट बचा कर उसने ये पैसे इकठ्ठा किए थे I डेल्ला ने तीन बार उनको गिन
कर देख लिया... एक डॉलर और सतासी सेंट्स! और अगले ही दिन क्रिसमस का त्यौहार था I
बिस्तर
पर औंधे गिर कर रोने के अलावा कोई चारा नहीं था I डेल्ला ने ठीक वही किया I
जब
तक यह ग्रहणी रो कर चुप हो, हम उसके घर पर एक नज़र डाल सकते हैं I साजो-सामान के साथ
हफ़्ते के आठ डॉलर पर लिया हुआ एक किराए का कमरा I इससे अधिक इस बारे में कहने लायक
कुछ है भी नहीं I
नीचे
हॉल में एक लैटर-बॉक्स था, इतना छोटा कि उसमें एक ख़त भी मुश्किल से समाए... बिजली की
एक घंटी (कॉल-बेल्ल) थी, लेकिन वो बजती नहीं थी I दरवाज़े के एक तरफ़ नाम वाली एक तख़्ती
लटकी थी जिस पर लिखा हुआ था - "जेम्स डिल्लींघम यंग"
जब इस तख़्ती को यहाँ लटकाया गया था तब
श्रीमान जेम्स डिल्लींघम यंग एक सप्ताह के ३० डॉलर कमाते थे I और अब जबकि उनका साप्ताहिक
वेतन घट कर सिर्फ़ २० डॉलर रह चुका था, वो नाम जरूरत से ज़्यादा बड़ा और महत्वपूर्ण लगने
लगा थाI क़ायदे से इसको अब "जेम्स डीo यंग" हो जाना चाहिए था I
मगर जब जनाब जेम्स डिल्लींघम यंग घर में क़दम रखते तो उनका यह नाम और भी छोटा हो जाया
करता था I श्रीमती जेम्स डिल्लींघम यंग बड़े प्यार से उसके गले में अपनी बाहें डालते
हुए पुकारतीं, "जिम" I
श्रीमती जेम्स डिल्लींघम यंग से तो आप मिल ही चुके
हैं, वही डेल्ला है I
डेल्ला
ने अपना रोना-धोना बंद कर दिया और चेहरे से आँसू पोंछेI खिड़की के पास खड़े होकर उसने
बड़े अनमने ढंग से बाहर देखा I कल क्रिसमस था और उसके पास जिम के लिए कोई तोहफ़ा ख़रीदने
के लिए सिर्फ़ १.८७ डॉलर थे! महीनों के यत्न से बचत करने पर भी बस इतने ही जमा हुए थे
I हफ़्ते के २० डॉलर आख़िर होते ही कितने थे?! सब कुछ उसकी सोच से कहीं ज़्यादा महंगा
हो चुका था I हमेशा ऐसा ही होता था I
सिर्फ़ १.८७ डॉलर से जिम के लिए तोहफ़ा
I उसका जिम! किसी अच्छे से तोहफ़े के बारे में सोचने में ही उसने काफ़ी घंटे बिताए थे...
कुछ वाक़ई अच्छा, कुछ ऐसा… जिसमें जिम का बनने लायक कुछ ख़ास होता I
खिड़किओं
के दरम्यान एक आईना लगा हुआ था I शायद आप लोगों ने ८ डॉलर के किराए वाले कमरों में
लगा आईना देख रखा हो... संकरा सा! कोई भी उसमें एक बार में अपने-आप का सिर्फ़ एक हिस्सा
ही देख सकता था I हाँ, अगर कोई बहुत दुबला हो तो अपनी पूरी छवि बेहतर देख सकता था
I डेल्ला पतली-दुबली थी और इस काम में दक्षता हासिल कर चुकी थी I
फिर वो अचानक खिड़की के आगे से हटी और उस
आईने के सामने जा खड़ी हुई I उसकी आँखें चमक रही थीं, परन्तु चेहरे की रंगत थोड़ी पीली
पड़ गई थी I
जल्दी से उसने अपने
बाल खोले और लहरा कर पूरे नीचे तक बिखर जाने दिए!
जेम्स
डिल्लींघम यंग (जिम) को अपनी दो चीज़ों पर बहुत नाज़ था I एक थी उसकी अपनी सोने की घड़ी,
जो पहले उसके पिता की हुआ करती थी, और उससे भी पहले कभी उसके दादा की I दूसरी चीज़ जिस
पर जिम को फ़ख्र था वो थी डेल्ला के ख़ूबसूरत बाल I
अगर उनके कमरे के नज़दीक कोई मल्लिका रह
रही होती तो डेल्ला रोज़ अपने बाल धो कर किसी ऐसी जगह खड़े होकर सुखाती जहाँ से वो उस मल्लिका
को ज़रूर दिखते I डेल्ला यह बात अच्छे से जानती थी कि उसके बाल किसी भी मल्लिका के हीरे-जवाहरात
से भी अधिक सुन्दर थे I
और
अगर उनके कमरे के पास कोई महाराजा, अपनी शानो-शौक़त के साथ, रह रहा होता तो जिम उससे
जब भी मिलता, जानबूझ कर अपनी घड़ी की तरफ़ ज़रूर देखता I जिम को पता था किसी राजा-महाराजा
के पास भी उतना मूल्यवान कुछ नहीं हो सकता था I
अब डेल्ला के ख़ूबसूरत बाल, उसके ऊपर बिखरे,
ऐसे चमक रहे थे जैसे निर्मल पानी का कोई बहता हुआ झरना हो! उसके बाल उसके घुटनों से
भी नीचे तक आते थे और अपने आप में ही एक परिधान बन जाते थे I
फिर
उसने बालों को समेट कर जल्दी से अपने सिर के ऊपर एक जूड़े की शक़्ल में बाँध लिया I वह
एक पल को ठिठकी, और दो आँसू उसकी आँखों से बह कर उसके चेहरे पर ढुलक आए I
उसने
अपना पुराना सा भूरे रंग का कोट पहना, भूरे रंग की ही एक टोपी सिर पर रखी, और अपनी
आँखों में एक अनोखी चमक लिए दरवाज़े से बाहर निकल कर नीचे गली में चली गई I
जहाँ जाकर वो रुकी
वहाँ लगे एक साइनबोर्ड पर लिखा हुआ था, ‘श्रीमती सोफ़्रोनी I बालों के लिए हर प्रकार
की सामग्री!’
दूसरे माले तक डेल्ला
दौड़ते हुए ही पहुँची और फिर रुक कर अपनी सांस व्यस्थित करने लगी I
श्रीमती सोफ़्रोनी,
एक लम्बी-चौड़ी, बिल्कुल सफ़ेद चेहरे और सर्द आँखों वाली महिला, ने उसकी ओर देखा I
"क्या आप मेरे बाल ख़रीदना चाहेंगीं?"
डेल्ला ने पूछा I
"हाँ, मैं बाल ख़रीदती तो हूँ,"
श्रीमती सोफ़्रोनी ने जवाब दिया, "अपनी यह टोपी उतारो और मुझे पहले देख लेने दो!”
एक झरना सा फिर
से बह निकला...
"बीस डॉलर," श्रीमती सोफ़्रोनी
ने बालों को हाथ से उठा कर उनके वज़न का अंदाज़ा लगाते हुए कहा I
"ठीक है, दे दीजिए… जल्दी,"
डेल्ला बोली I
और अगले दो घंटे
पता नहीं कैसे निकल गए... डेल्ला एक दुकान से निकलती और दूसरी में घुस जाती थी, जिम
के लिए किसी अच्छे तोहफ़े की तलाश में I आख़िर उसको अपनी पसंद का उपहार मिल ही गया I
ऐसा लगता था वो ख़ास जिम के लिए ही बना था I हालाँकि वह शहर की सारी दुकानें देख आई
थी, ऐसा तोहफ़ा उसको और कहीं नहीं दिखा था! वो एक घड़ी की सोने की चेन थी, बड़े सादा-सुन्दर
तरीक़े से बनी हुई; उसकी सबसे ख़ास बात उसमें इस्तेमाल हुआ ख़ालिस सोना था I उसे इतने
सादा ढंग से बनाया गया था के देखने-मात्र से ही वो बड़ी मूल्यवान लगती थी I सब अच्छी
चीज़ें ऐसी ही होती हैं I
वो चेन जिम की घड़ी
के लिए बिल्कुल उपयुक्त थी!
उस पर पहली नज़र
पड़ते ही डेल्ला के अंदर से एक आवाज़ आई कि यह जिम के पास ही होनी चाहिए I वो चेन बिल्कुल
जिम जैसी ही थी! एक तरह की शालीनता और लियाकत, जिम और उस चेन, दोनों में ही मौजूद थे
I डेल्ला ने चेन के लिए मांगे गए २१ डॉलर चुकाए और जल्दी से घर को चल पड़ी I सतासी सेंट्स
के साथ!
उस
घड़ी के साथ चेन लगा कर जिम कहीं पर भी उसमें वक़्त देख सकता था I इतनी बढ़िया घड़ी होते
हुए भी उसके साथ अब तक कोई चेन नहीं थी I इसलिए कई बार जिम उस घड़ी को तभी निकाल कर
देखता था जब उसके आस-पास कोई न होI
जब तक डेल्ला वापिस घर पहुँची, उस का दिमाग़
काफ़ी हद तक शांत हो चुका था, और अब वह यथोचित ढंग से सोच पा रही थीI फिर उसने जो किया
था उसके दुःख पहुँचाने वाले निशान ख़त्म करने की कोशिश में लग गई वह I
मोहब्बत और दरियादिली जब एक साथ मिल जाएं तो अपने
निशान छोड़ ही जाते हैं I और दोस्तों, इन निशानों को मिटाना या छिपाना कभी भी आसान नहीं
होता!
चालीस मिनट में ही डेल्ला पहले से बेहतर
लगने लगी थी I छोटे-छोटे बालों में वो अब किसी स्कूल के लड़के जैसी दिख रही थी; आईने
के सामने काफ़ी देर तक खड़ी वह ख़ुद को निहारती रही I
"अगर मुझे जिम ने जान से ही नहीं
मार डाला," वह अपने आप से बात कर रही थी, "तो मेरी तरफ़ दूसरी नज़र डालने से
पहले ही वो कहेगा, मैं कोई ऐसी लड़की लग रही हूँ जो पैसे के लिए नाचती-गाती हो I
मगर मैं क्या करती!
एक डॉलर और सतासी सेंट्स के साथ मैं कर ही क्या सकती थी!"
सात बजे तक जिम
के लिए खाना तैयार था I
जिम कभी भी देर
नहीं करता था I डेल्ला ने सोने की चेन अपने हाथ में छिपा ली और दरवाज़े के पास ही बैठ
गई I फिर उसको नीचे हॉल में जिम के क़दमों की चाप सुनाई दी I एक बार को उसके चेहरे का
रंग फिर उड़ गया I वह अक्सर रोज़मर्रा की छोटी-मोटी ज़रूरतों के लिए छोटी-छोटी प्रार्थना
किया करती थीI और इस वक़्त की उसकी प्रार्थना थी, "हे भगवान, मैं जिम को अब भी
पहले जैसी सुन्दर ही लगूँ!"
दरवाज़ा खुला और जिम अंदर दाख़िल हुआ I वह
बहुत कमज़ोर लग रहा था और उसके चेहरे पर कोई मुस्कराहट भी नहीं थी I बेचारा! अभी सिर्फ़
बाईस बरस का था - और अभी से एक परिवार की जिमेवारी उसके ऊपर थी! उसको एक नए कोट की
ज़रुरत थी, और उसके पास अपने हाथों को ठण्ड से बचाने के लिए दस्ताने भी नहीं थे I
जिम
दरवाज़े से अंदर आते ही थम गया... वो ऐसा शांत दिख रहा था जैसे कोई शिकारी कुत्ता अपने
शिकार, किसी पक्षी, के पास पहुँच कर होता है I उसने एक अजीब सी नज़र से डेल्ला की ओर
देखा... जिम के चेहरे पर ऐसे भाव उभरे जिन्हें डेल्ला समझ ही न सकी: अब उसको डर लगने
लगा था I वो ना तो ग़ुस्सा था, न हैरत, और ना ही कुछ ऐसा जिसके लिए डेल्ला तैयार थी
I बस वही अजीबो-ग़रीब भाव चेहरे पर लिए जिम उसको घूरता ही जा रहा था I
डेल्ला उसके नज़दीक
चली गई...
"जिम, मेरे प्रिय..." वो रोने
लगी, "मुझे ऐसे मत देखो I मैंने अपने बाल कटवा कर बेच दिए हैं I क्रिसमस पर मैं
तुम्हारे लिए कोई तोहफ़ा ना लाऊँ, ऐसा हो
ही नहीं सकता था I बालों का क्या है, फिर बड़े हो जाएंगे! तुम्हें ज़्यादा पता भी नहीं
चलेगा I वैसे भी मेरे बाल बहुत जल्दी बढ़ जाते है I क्रिसमस का मौक़ा है… हमें ख़ुश होना
चाहिए I
तुम नहीं जानते
मैं तुम्हारे लिए एक कितना अच्छा तोहफ़ा लाई हूँ..."
"तुमने अपने बाल कटवा लिए?"
जिम धीमे स्वर में बोला I जो हुआ था, वह उसको समझने की अब भी कोशिश ही कर रहा लगता
था; ऐसा लगा नहीं कि वह कुछ भी समझा है I
"हाँ, कटवा लिए... और बेच दिए,"
डेल्ला ने कहा, "क्या मैं अच्छी नहीं लग रही अब तुम्हें? मैं तो मैं हूँ... बालों
के बिना भी मैं वही हूँ जिम!"
जिम ने कमरे में इधर-उधर बे-वजह नज़र दौड़ाई
I
"तुम कहना चाहती हो तुम्हारे बाल
नहीं रहे?" उसने कहा I
"यहाँ-वहाँ देखने की कोई ज़रुरत नहीं
है," डेल्ला बोली, "मैंने कहा ना,
वो जा चुके हैं… बिक गए हैं! आज क्रिसमस की
पूर्व-संध्या है, मेहरबानी करके मेरे साथ थोड़ा ठीक से पेश आओ... और मैंने तुम्हारे
लिए ही तो बेचा है उनको! शायद कोई मेरे बाल तो फिर भी गिन लेता, मगर कोई भी
तुम्हारे लिए मेरे प्यार का अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता! चलो, अब खाना खा लें, जिम?"
जिम
की बाँहें डेल्ला के गिर्द कस गईं I
कुछ पलों
के लिए चलिए हम अपनी निगाह फेर लेते हैं! एक सप्ताह के ८ डॉलर या एक वर्ष के दस लाख
डॉलर - दोनों में कितना फ़र्क़ है? शायद कोई
आपको इसका जवाब दे भी दे, मगर वो ग़लत ही होगा I मजूसी अपने साथ बड़े मूल्यवान तोहफ़े
लाए होंगे, लेकिन उनमें भी ऐसा कुछ नहीं था I इस का सही मतलब आपको थोड़ी देर में समझ
आ जाएगा!
अपने कोट के अंदर से जिम ने काग़ज़ में लिपटा
कुछ निकाला और मेज़ पर उछाल दिया I
"मैं चाहता हूँ कि तुम मेरी भावनाओं
को समझो डेल्ला," उसने कहा, "सिर्फ़ बाल कटवा लेने से ऐसा कुछ नहीं होगा कि
तुम्हारे लिए मेरी मोहब्बत कम हो जाएगी I तुम अगर इस काग़ज़ को खोल कर देखो तो शायद समझ
पाओ कि जब मैं घर में दाख़िल हुआ था उस वक़्त मुझे कैसा लगा होगा!"
गोरी-गोरी
उँगलियों ने काग़ज़ को हटाया I और फिर ख़ुशी की एक लहर सी दौड़ गई... जो जल्द ही आँसुओं
में भी बदल गई!
काग़ज़ के अंदर लिपटी हुईं कंघियाँ थीं...
वो कंघियाँ जिन्हें डेल्ला बहुत समय से एक शोरूम की खिड़की में पड़े देखती और पसंद करती
आई थी I बेहद ख़ूबसूरत... जिनमें क़ीमती पत्थर जड़े हुए थे... और जो ऐन उसके ख़ूबसूरत बालों
के ही लायक थीं I डेल्ला जानती थी कि वो इतनी महंगी होंगी कि उनको ख़रीदने के बारे में
सोचना भी मुश्किल था I उसने बस उनको आँख भर कर देखा था, ख़रीद पाने की किसी भी उम्मीद
के बिना I
और अब वो कंघियाँ
उसकी अपनी थीं, मगर तब... जब उसके बाल ही नहीं रहे थे!
बहुत देर तक डेल्ला
उन कंघियों को अपने दिल के क़रीब रख कर थामे रही, फिर उसने धीरे से सिर उठा कर जिम की
ओर देखा और बोली, "मेरे बाल बहुत जल्दी बढ़ते हैं, जिम!"
फिर कुछ याद करके
अचानक वो उछल कर बोली, "ओह!"
जिम ने अभी तक अपना
ख़ूबसूरत तोहफ़ा नहीं देखा था I डेल्ला ने उसकी तरफ़ अपना हाथ बढ़ा कर खोल दिया, सोना जैसे
उसके अपने प्यार की गर्मी से धीमे-धीमे दमक रहा था...
"है ना यह बहुत ही बढ़िया, जिम? इसकी तलाश में पूरा शहर भटकी हूँ... अब तुम दिन में जितनी बार चाहो अपनी घड़ी निकाल
कर वक़्त देख सकते हो I लाओ अपनी घड़ी दो, मैं भी देखूँ इस चेन के साथ वो कैसी लगती है
I"
जिम बैठ गया और
मुस्कुराने लगा I
"डेल्ला," वह बोला, "फ़िलहाल
हम अपने क्रिसमस के तोहफों को कहीं संभाल देते हैं I हम दोनों ही उनको अभी इस्तेमाल
नहीं कर पाएंगे I तुम्हारे लिए यह तोहफ़ा लाने की ख़ातिर मैंने अपनी घड़ी बेच दी है!"
फिर वह बोला, "और अब मुझे लगता है, हमें खाना खा लेना चाहिए I"
जैसा
कि आप जानते हैं, मजूसी, जो शिशु जीसस के लिए तोहफ़े लेकर आए थे, ज्ञानी थे - बहुत बुद्धिमान
थे! क्रिसमस पर तोहफ़े
देने का चलन उन्होंने ही शुरू किया था I चूँकि
वे बुद्धिमान थे, उनके तोहफ़े भी बहुत अनुकूल थे I और मैंने आपको जो कहानी अभी सुनाई
है, उसमें दोनों किरदार शायद उतने अक़्लमंद नहीं थेI उन दोनों ने ही अपनी सबसे बहुमूल्य
चीज़ इसलिए बेच दी कि दूसरे के लिए उपहार ख़रीद सकें I
लेकिन आज के ज़माने के दानिशमंदों
से, अक़्लमंदों से, मैं एक आख़िरी बात कहना चाहता हूँ... वो सभी जो तोहफ़े देते और लेते
हैं, यह जान लें कि ये दोनों असल में सबसे ज़्यादा अक़्लमंद थे I हर जगह दानिशमंद तो
बहुत होंगे, मगर ये दोनों तो मजूसी थे!!
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