Stories

Friday, 25 January 2019

“अनुभूति”






  न चाहो मुझे

  तुम्हारे बस में हो अगर.

  न मिलो मुझसे

  ठीक समझो यदि तुम.

  मुस्कुराके भी चाहे

  ना देखो मेरी ओर कभी.

  एक सुखद अनुभूति से

  वंचित न करो मुझे मगर.

  दर्द इतना न दो कि

  कोई भी दर्द, दर्द ना रहे...!

  ***

  

Saturday, 19 January 2019

“ऐ ख़ुदा तेरा शुक्रिया !”



          
           ऐ ख़ुदा तेरा शुक्रिया, बहुत दिया, जो दिया…. 
           कमज़र्फ़ थे कभी ख़ुशी में तुझे ना याद किया! 
    
ज़िन्दगी तो बस सबकी यूँ ही गुज़रा करती है,
कुछ इसको दिया और कुछ उससे ले लिया…!  
          
           चंद बातें कीं, कुछ क़िस्से भी सबसे कह डाले;
           लबों को अपने कुछ मुद्दों पे लेकिन सी लिया!  
    
जब मिली ख़ुशी, बटोर ली अपने दामन में…
ऐसे ही ग़म का हमने हंसते-हंसते जाम पिया!
          
           क़िस्मत ने कभी रौशनी को आफ़्ताब बख़्शा,
           और कभी तो हमें नसीब ना हुआ एक दिया…!
    
दुनिया ने तो रंजिश ही निभाई मोहब्बत से,
हाँ, हमने मगर प्यार से सब को प्यार किया!
          
           मासूम थे पीठ में हम खंजर ताउम्र खाते रहे
           मजाल है कभी पलट दोस्त पर वार किया...!



Saturday, 12 January 2019

सिर्फ़ तुम्हारे लिए...!





समझ में नहीं आता अब…
किस नाम से पुकारूं तुम्हें!
नाम बदल भी जाए अगर
तुम तो 'तुम' ही रहोगी…

तो बिना सम्बोधन ही सही
जहाँ भी हो – सुन लो,
देख सको तो देख लो...

कभी जो जुनून की हद तक
दीवाना था सिर्फ़ तुम्हारा,
आज बिछड़ कर तुमसे...
तुम्हारी 'जानलेवा' जुदाई में
इस ग़म का दामन थामे
लगभग जी ही रहा है!

और वह नहीं भी जीयेगा….
तो इस ग़म से क़तई नहीं;
क्योंकि किसी की मोहब्बत में
मरने को महज़ एक वहम
साबित करना ही है उसे…!!


Saturday, 5 January 2019

“लोग कहते हैं इश्क़ छोड़...!”







लोग कहते हैं इश्क़ छोड़ वर्ना बदनाम हो जायेगा
कैसे समझायें यूँ ही सही अपना नाम हो जायेगा!

हर ख़ुशी से वाबस्ता हो, पहुंचो हर एक उरूज तक
अपना तो क्या, वही क़िस्सा है, तमाम हो जायेगा! 

यह कश्मकश ज़िन्दगी की उसी के साथ ख़त्म होगी
थक चुके दिलो-दिमाग़ को ज़रा आराम हो जायेगा!

तअ'ल्लुक़ हमारे बीच गर ऐसे ही ना-ख़ुशगवार रहे
ज़िन्दगी तो मुश्किल थी ही मरना हराम हो जायेगा!

कभी दुआओं में ही सही तुम याद रख सके अगर
अपने लिए तो बस यह भी एक इनाम हो जायेगा!

हमारे रास्ते और ख़्यालात जो एक हो सके कभी
किसी रोज़ तुम्हारे साथ भी एक जाम हो जायेगा!


वाबस्ता: जुड़ा हुआ; उरूज: उत्कर्ष; तअ'ल्लुक़: संबंध; ना-ख़ुशगवार: अप्रिय