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Tuesday, 31 August 2021

हाकिम-ए-आ'ला

 

हाकिम-ए-आ'ला

 

जिसका ये सब करम, वो हाकिम-ए-आ'ला आसमानी है

यहाँ जो भी, जब भी होता है, सब उसकी हुक्म-रानी है!

 

हम अदना से इंसान, हम सबके बस में कुछ भी तो नहीं

ये दुनिया और ये नेमतें तमाम, सब रब की मेहरबानी है!

 

दुख-सुख साथ ही रहते हैं, मुनहसिर है कुछ हम पर भी

दिल दुखी तो फ़ज़ा उदास है, वर्ना हर-सू शादमानी है!

 

जो कल था वो आज नहीं है, जो आज है कल होगा नहीं

इक बार जीना है खुलके जी लो, छोटी सी ज़िंदगानी है!

 

मौजूदा दौर का हाल ये है, कब क्या हो जाए, पता नहीं

ये जो सब कुछ सालिम है, बस दुआओं की सायबानी है!

 

हिफ़ाज़त है उसका ज़िम्मा, तुम बस ख़ुदा को याद रखो

ख़ुद को उसके हवाले कर दो, ये बात अगर आज़मानी है!

 

eMKay

 

हाकिम-ए-आ'ला: सर्वोपरि शक्ति, ईश्वर; हुक्म-रानी: सलतनत; मुनहसिर: निर्भर;

हर-सू: सब तरफ़; शादमानी: ख़ुशी; सालिम: संपूर्ण, यथावत्; सायबानी: पनाह, सहारा